Women Reservation Bill: बिल पास हो गया, तो 'जनगणना और परिसीमन के पेंच' में फंसेगा...जानिए ये होता क्या है?
जिस तरह का संख्या बल बीजेपी के पास है, उससे लगता है कि नारी शक्ति वंदन बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगहों पर पास होना मुश्किल नहीं. लेकिन कानून के तौर पर ये लागू कब तक होगा, ये बड़ा सवाल है क्योंकि इसके बीच में 'जनगणना और परिसीमन के पेंच' फंस सकता है. जानिए ये होता क्या है.
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आज सरकार द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र का तीसरा दिन है. लोकसभा में आज नारी शक्ति वंदन बिल (Women Reservation Bill) बिल पर चर्चा हो रही है. इसकी चर्चा के लिए 7 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. जिस तरह का संख्या बल बीजेपी के पास है, उससे उम्मीद है कि ये बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह पास हो जाएगा. बिल पास होने के बाद ये कानून बनेगा. लेकिन इस बिल की कुछ शर्तें हैं, जिसके कारण ये बिल पास होने के बाद भी तुरंत लागू नहीं हो पाएगा.
इसका कारण है कि बिल को पेश करते समय ही ये साफ कर दिया गया है कि जब तक जनगणना और परिसीमन न हो जाए, तब तक यह कानून लागू नहीं होगा. इसका सीधा और साफ मतलब है कि महिला आरक्षण बिल लागू होने की राह में अब भी दो रोड़े हैं- पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन. आइए आपको बताते हैं कि क्या होता है जनगणना और परिसीमन.
पहले समझिए क्या होती है जनगणना
जनगणना वह प्रक्रिया है, जिसके तहत एक निश्चित समयांतराल पर किसी भी देश में एक निर्धारित सीमा में रह रहे लोगों की संख्या, उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन से संबंधित आंकड़ों को इकट्ठा कर, उनका अध्ययन किया जाता है और संबंधित आंकड़ों को प्रकाशित किया जाता है. भारत में 10 साल की अवधि पर जनगणना की जाती है. साल 2011 में जनगणना होने के बाद इसे 2021 में किया जाना था, लेकिन ये अभी तक नहीं हो पाई है.
क्या होता है परिसीमन
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परिसीमन का शाब्दिक अर्थ है किसी देश या प्रांत में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की क्रिया या प्रक्रिया. साधारण शब्दों में समझें तो बढ़ती जनसंख्या के आधार पर समय-समय पर निर्वाचन क्षेत्र की सीमाएं दोबारा निर्धारित करने की प्रक्रिया को परिसीमन कहते हैं. लोकतंत्र में आबादी का सही प्रतिनिधित्व हो सके और सभी को समान अवसर मिल सके, इस उद्देश्य के साथ परिसीमन किया जाता है. परिसीमन के दौरान आरक्षित सीटों का निर्धारण भी करना होता है.
आखिरी बार कब हुआ था परिसीमन
किसी राज्य में लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या कितनी होगी? इसका काम परिसीमन आयोग करता है. साल 1952 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था. परिसीमन आयोग ही यह फैसला लेता है कि देश के किसी भी राज्य में लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या कितनी होगी. आखिरी बार 1971 की जनगणना के आधार पर 1976 में परिसीमन हुआ था, जिसके बाद सीटों की संख्या बढ़कर 543 हो गई.
इसे क्यों माना जा रहा है रोड़ा
जनगणना और परिसीमन को रोड़ा क्यों माना जा रहा है, इसकी वजह है कि परिसीमन से पहले जनगणना की जानी है. ये जनगणना 2021 में होने वाली थी, लेकिन आज तक नहीं हो पाई और कब तक हो पाएगी, इसके बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता. ऐसे में 2026 में भी परिसीमन होगा या नहीं, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता. इस तरह देखा जाए तो 2024 तक इस कानून के ला्गू होने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है.
इसके अलावा कानून मंत्री ने बिल पेश करते समय ये भी स्पष्ट किया है कि कानून को लागू करने के लिए लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल का इंतजार करना होगा. इसे विधानसभा या लोकसभा के कार्यकाल के बीच में लागू नहीं किया जा सकता. ऐसे में 2026 में भी परिसीमन हो जाए, तो भी इस कानून को लागू करने के लिए 2029 तक इंतजार करना होगा क्योंकि अगला चुनाव 2029 में होगा.
इसके अलावा अगर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुए संशोधन पर गौर करें तो उस वक्त तय किया गया था कि 2026 के बाद जो पहली जनगणना होगी और उसके आंकड़े जारी हो जाएंगे और उसके बाद परिसीमन होगा. इस लिहाज से देखें तेा 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में होगी. इसके बाद परिसीमन होगा. फिर 2034 में लोकसभा का चुनाव होगा और तब जाकर उस लोकसभा में नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होगा.
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11:41 AM IST